इतिहास के पन्ने राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ुल्लाह खान की गहरी दोस्ती की कहानियों से भरे पड़े हैं। बिस्मिल पहले अशफ़ाक़ के बड़े भाई रियासत खान के दोस्त थे, लेकिन बाद में वे और अशफ़ाक़ इतने करीब आ गए कि उनका रिश्ता भाईचारे से भी बढ़कर हो गया। इसी अनोखी दोस्ती पर आधारित है सादिक अंसारी द्वारा लिखा गया नाटक “पंडित और पठान,” जिसे मुजीब खान ने निर्देशित किया है।
इस नाटक का प्रीमियर शो गुरुवार, 19 दिसंबर (यही वो दिन था जब इन दोनों क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी) को शाम 7:30 बजे शकुंतलम स्टूडियो में होगा। नाटक में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की दोस्ती को विशेष महत्व दिया गया है। उनकी पहली मुलाकात से लेकर फांसी के फंदे तक की यात्रा मंच पर एक रोमांचक फिल्म की तरह प्रस्तुत की गई है। पूरा नाटक उर्दू शायरी से इस खूबसूरती से सजाया गया है कि दर्शक तारीफ करते नहीं थकेंगे।
नाटक में कई ऐसे भावुक दृश्य हैं जो दर्शकों की आंखें नम कर देंगे। जैसे, अशफ़ाक़ का अपने भतीजों को पत्र लिखकर यह कहना कि वे उनके केस की कार्रवाई को पढ़ें ताकि उन्हें एहसास हो कि एक सच्चे मुसलमान के रूप में अपने वतन से कितना गहरा प्यार किया जा सकता है। इसी तरह, अपनी मां को लिखे पत्र में अशफ़ाक़ कहते हैं: “मां, मैंने सुना था कि जब अल्लाह ने मुझे आपकी गोद में दिया था, तो आपने सबको कहा था कि यह अल्लाह की अमानत है। अब अल्लाह आपसे अपनी अमानत इस देश के लिए मांग रहा है, तो आपको भी अमानत में खयानत नहीं करनी चाहिए, बल्कि देश के लिए इसे खुशी-खुशी सौंप देना चाहिए।”
इसके अलावा, एक ब्रिटिश नियुक्त मुस्लिम मजिस्ट्रेट द्वारा अशफ़ाक़ को बिस्मिल के खिलाफ भड़काने और अशफ़ाक़ का साहसिक जवाब देना, या बिस्मिल को अशफ़ाक़ के खिलाफ करने की साजिश करना और बिस्मिल का दो टूक जवाब देना – ये सभी दृश्य नाटक को बेहद रोमांचक और प्रभावशाली बनाते हैं। इन दृश्यों की तीव्रता को दर्शक अपनी कुर्सियों पर बैठे महसूस करेंगे, जैसे कलाकार मंच पर इसे जी रहे हों।
यह नाटक न केवल ऐतिहासिक घटनाओं की सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि आधुनिक समय की मांगों को भी पूरा करता है। यह एकता और भाईचारे का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसे पूरे देश में दिखाए जाने की आवश्यकता है।
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